10 मार्च। आदिवासी भूमि पर पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने और आदिवासियों के वन अधिकारों को मुखर करने वाले संगठन ‘जागृत आदिवासी दलित संगठन'(जेएडीएस) ने एक बयान जारी कर कहा है कि मध्यप्रदेश के बुरहानपुर क्षेत्र में वन विभाग के साथ टकराव के बाद 35 आदिवासी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस द्वारा अन्य दो आदिवासी कार्यकर्ता अंतरम और नितिन से पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तारी की धमकी दी गई। दोनों को आज पूछताछ के लिए भी बुलाया गया है। जेएडीएस ने अपने बयान में आगे कहा, कि वन विभाग द्वारा कार्यकर्ताओं को अवैध रूप से गिरफ्तार किया जा रहा है, तथा उनको तरह की यातनाएँ दी जा रही हैं।
जिले के सक्षम अधिकारी भी अपनी जवाबदेही से बचने की कोशिश करते रहते हैं। विदित हो कि इस क्षेत्र में वन विभाग द्वारा आदिवासी समुदायों के खिलाफ हिंसा का अपना एक इतिहास है। वन विभाग समय-समय पर अवैध हिरासत, हिंसा और डराने-धमकाने जैसे हथकंडे अपनाकर बाल्दी पंचायत के आदिवासियों को उनकी जमीन से अवैध रूप से बेदखल करने का प्रयास करता है। गौरतलब है कि आदिवासियों की बेदखली वन अधिकार अधिनियम की धारा 4(5) का उल्लंघन है। ‘कानून की उपरोक्त धारा के मुताबिक, मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक अनुसूचित जनजाति या अन्य पारंपरिक समुदायों से सम्बन्धित वनवासी व्यक्ति को उनके कब्जे वाली वनभूमि से बेदखल नहीं किया जाना चाहिए।