समाजवादी कैसा जीवन जीएं; सिखा कर चले गए पन्नालाल सुराणा

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Pannalal Surana

sunilam

— डॉ सुनीलम —

न्नालाल सुराणा जी से मेरी पहली मुलाकात सुरेंद्र मोहन जी के साथ हुई थी। 1985 के बाद जब मैंने बैतूल में काम शुरू किया तब पन्नालाल जी, वीणा ताई, भाई वैद्य जी, पारिट गुरुजी का बैतूल आना जाना शुरू हुआ। कई सम्मेलनों तथा राष्ट्र सेवा दल के शिविरों में वे बैतूल आते जाते रहे। उन्होंने ही मुझे मध्य प्रदेश का राष्ट्र सेवा दल का अध्यक्ष बनाया।  इसके बाद लगभग 20 वर्षों तक हर वर्ष ग्वालियर, सांची, बेगमगंज, मुलताई और छिंदवाड़ा में लगातार राष्ट्र सेवा दल के शिविर आयोजित किए जाते रहे। राष्ट्र सेवा दल के शिविर का सिलसिला भरत लाटकर जी के अध्यक्ष रहते तक मध्यप्रदेश में नियमित चलता रहा।

मुझे जिन पांच समाजवादियों ने प्राथमिक रूप से राष्ट्र सेवा दल से जोड़े रखा वे पांचों पन्नालाल जी, वीणा ताई, भाई वैद्य जी, पारिट गुरुजी और सुरेंद्र मोहन जी अब हमारे बीच नहीं है लेकिन राष्ट्र सेवा दल देश भर में आज भी सक्रिय है।

पन्नालाल सुराणा जी से मेरी अंतिम बातचीत समाजवादी आंदोलन के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पुणे सम्मेलन को लेकर
हुई थी। स्वास्थ्य कारणों से वे सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके लेकिन इसके पहले 17 मई 2025 को जब यह सम्मेलन होना था, उस सम्मेलन की तैयारी के लिए वे 7 दिन पहले पुणे पहुंच चुके थे।

उनकी अध्यक्षता में ही सम्मेलन होना था लेकिन पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति बना दिए जाने के कारण कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था। इस बार के सम्मेलन में उन्हें पंडित रामकिशन जी के साथ सम्मानित किया जाना था तथा वे सम्मेलन के ध्वजारोहण हेतु पहुंचने वाले थे लेकिन स्वास्थ्य कारणों से नहीं पहुंच सके ।

पन्नालाल जी 90 वर्ष की उम्र तक लगातार पूर्वोत्तर से कश्मीर तक और उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक लगातार दौरा किया करते थे। जब तक कि उनके पैर अत्याधिक सुजने लगे तब तक कभी रुके नहीं,थके नहीं।

मुझे पन्नालाल सुराणा जी के साथ राष्ट्र सेवा दल के साथ-साथ, सोशलिस्ट फ्रंट में काम करने का मौका मिला। उन्होंने ही 10-11 अगस्त 2014 को समाजवादी समागम के स्थापना दिवस सम्मेलन, का प्रस्ताव प्रो आनंद कुमार और मेधा पाटकर जी के साथ मिलकर तैयार किया था, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया था। मुझे याद है उन्होंने ही आग्रह करके मुझे सम्मेलन के द्वारा राष्ट्रीय संयोजक की जिम्मेदारी दिलाई थी, हालांकि मेरी, मेधा पाटकर जी एवं अन्य साथियों की यह राय थी कि हमें जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय की तरह ही राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय समिति बनानी चाहिए।

पन्नालाल जी सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के अध्यक्ष रहे, कई बार उन्होंने मुझे पार्टी की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा। यह उनका बड़प्पन और लगाव था, जिसके चलते वे बार-बार मुझे जिम्मेदारी लेने के लिए कहा करते थे।

उनके साथ डॉ जी जी परीख जी सोशलिस्ट पार्टी इंडिया में सक्रिय रहा करते थे। पन्नालाल सुराणा जी ने समाजवादी सिद्धांतों को लेकर कई किताबें लिखी थी। किसी भी समाजवादी कार्यकर्ता और नेता का कैसा जीवन जीवन चाहिए इसका मापदंड पन्नालाल जी का जीवन माना जा सकता है।

डॉ लोहिया के जेल, वोट, फावड़ा के सिद्धांत को जीने का काम उन्होंने किया। 18 महीने आपातकाल में वे जेल में रहे। उन्होंने अनेक शिक्षण संस्थाओं के साथ जुड़कर आजीवन लोक शिक्षण का कार्य किया। समाजवादी आंदोलन के स्तंभों, मधु दंडवते जी और डॉ जी जी परीख की तरह उन्होंने अपना देह दान किया है।


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