26 अगस्त। भारत के ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने आज 9 महीने पूरा कर लिये इस आंदोलन में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों, और देश में करोड़ों किसान और उनके समर्थक शामिल हुए। इस अद्वितीय आंदोलन ने भारत में किसानों और उनके भविष्य के मुद्दों को सार्वजनिक बहस में सबसे आगे ला दिया है। इस जन आंदोलन ने लोकतंत्र में नागरिक शक्ति में विश्वास बहाल किया है। इसने किसानों को देश में सम्मान हासिल करने में मदद की है। इसने भारत में कृषक समुदायों के बीच जाति, धर्म, क्षेत्र, राज्य और अन्य विविधताओं से ऊपर उठकर एकता और सद्भाव के बंधन को मजबूत करने में मदद की है। इस आंदोलन ने किसानों और अन्य आम नागरिकों के समर्थन में, मिलकर काम करने के लिए देश में विपक्षी राजनीतिक दलों को भी इकट्ठा और सक्रिय किया है। इसने ग्रामीण भारत से युवाओं और देश की महिला किसानों को भी जोड़ा है। इसने साबित किया है कि बड़ी कम्पनियों को भी नागरिकों के दबाव से झुकाया जा सकता है। इस आंदोलन ने लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध के नागरिकों के मूल अधिकार को फिर से स्थापित कर दिया है। जबकि आंदोलन का विस्तार हो रहा है, यह देश में किसानों के कई स्थानीय संघर्षों को ऊर्जा और समर्थन प्रदान करने में सक्षम रहा है और कई को सफल समाधान की ओर ले गया है।
दुनिया के सबसे बड़े और सबसे लंबे शांतिपूर्ण विरोध के 9 महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में, संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 और 27 अगस्त को सिंघू मोर्चा पर अपना अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित किया है। उम्मीद है कि इस सम्मेलन में भारत के 20 राज्यों से लगभग 1500 प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन का उदघाटन बलबीर सिंह राजेवाल करेंगे।
पिछले पांच दिनों के शांतिपूर्ण संघर्ष के कारण पंजाब के गन्ना किसानों को (लगभग 750 लाख क्विंटल के अनुमानित उत्पादन के साथ) कम से कम 375 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी, जो कि उनका हक है। विभिन्न निहित स्वार्थों के कारण किसानों को बाजार में उन्हें सही मूल्य न देकर नियमित रूप से लूटा जाता रहा है। उत्पादन अनुमानों की पूर्ण, व्यापक और पारदर्शी लागत से वंचित किये जाने से शुरू होकर, किसानों को कई तरह से लाभकारी मूल्य निर्धारण में धोखा दिया जाता है। 20 अगस्त से पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों के हजारों किसानों ने जालंधर के पास धनोवली में विरोध प्रदर्शन किया, और राजमार्ग और पास की रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके बाद, तीन दौर की बातचीत के बाद, पंजाब सरकार 360 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना की कीमत देने पर सहमत हुई, जिसे किसान संगठनों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। बाद में मंगलवार शाम को विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया और आंदोलन स्थल खाली कर दिया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने फिर स्पष्ट किया है कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार और काले झंडे दिखाकर विरोध जारी रहेगा।
खबर है कि भाजपा सांसद वरुण गांधी को पीलीभीत के पूरनपुर की अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी, जहां स्थानीय किसान काले झंडे लेकर विरोध करने के लिए इंतजार कर रहे थे। इससे पहले, उत्तर प्रदेश के एक मंत्री महेश चंद्र गुप्ता को जिले में काले झंडे दिखाये गये थे। इससे पहले यूपी की भाजपा सरकार में मंत्री बलदेव सिंह औलख की बारी थी, जिन्हें इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था। किसान मांग कर रहे हैं कि इस घटना में विरोध कर रहे 70 किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे बिना शर्त वापस लिये जाएं।
भूमि अधिग्रहण कानून में सेंध
एसकेएम ने हरियाणा सरकार के नवीनतम कदम जिसमे भूमि अधिग्रहण अधिनियम (एलएआरआर 2013) में संशोधन जो किसानों की सहमति के बिना पीपीपी की आड़ में अनिवार्य अधिग्रहण की खुली छूट देता है, उसकी निंदा की। यह संशोधन पिछले दरवाजे से वह किसान विरोधी संशोधन लाने का प्रयास है जिसे मोदी सरकार 2015 में लागू करने में विफल रही। यह उस ऐतिहासिक कानून को कमजोर करता है जिसे 2013 में संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
हरियाणा में किसान आंदोलन और अन्य कुछ कारणों से पैदा हुए वातावरण के चलते हरियाणा विधानसभा सत्र को जल्दी स्थगित करना पड़ा। किसान विरोधी केंद्रीय कानूनों को निरस्त करने की मांग को विपक्षी नेताओं द्वारा विभिन्न तरीकों से सत्र में उठाया गया था हालांकि हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा सरकार सत्र को बहुत छोटा करके अपने लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति से बच निकली।
एसकेएम मोर्चा के विभिन्न विरोध स्थलों पर अधिक किसान पहुंच रहे हैं। राजस्थान के विभिन्न जिलों से किसान कल बड़ी संख्या में शाहजहांपुर पहुंचे। आंदोलन को और मजबूत करने के लिए 29 अगस्त को हरियाणा के नूंह में एक बड़ी महापंचायत होनी है। इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के कई प्रमुख नेता भाग लेंगे।
गेल ओमवेट को श्रद्धांजलि
संयुक्त किसान मोर्चा ने विद्वान-कार्यकर्ता गेल ओमवेट के निधन पर शोक जताते हुए कहा है कि उनके लेखन और सक्रियता ने अंतिम व्यक्ति की भलाई के विचार और जन आंदोलनों – विशेष रूप से दलित-बहुजन, महिलाओं और भूमिहीन किसानों के आंदोलनों – में बहुत योगदान दिया।