राजनीति

विचार की भट्टी का असर!

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— राजकुमार जैन — सोशल मीडिया में हर रोज सियासी उठा पठक, बड़े चैनलों के साथ-साथ बेशुमार बन गए अपने निजी प्रसारण केंद्रो की मार्फत ज्ञान बघारने, दूसरों को दोयंम दर्जे का सिद्ध करने के...

कांग्रेस पार्टी को ‘आपातकाल समर्थक कांग्रेसी- कम्युनिस्टों’ से मुक्त करें!

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— रणधीर गौतम — पिछले दो दिनों से कांग्रेसियों, कम्युनिस्टों और समाजवादियों में अपने-अपने इतिहास को लेकर कुछ ज़्यादा ही उत्साह उमड़ पड़ा है। यह स्थिति न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि खतरनाक भी। एक ओर...

राम से शुरू हुए राणा तक आ गए !

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— चंचल — संघ अपना एजेंडा चलाने में सफल रहा है। वह विषयांतर का माहिर है। सरकार में आने के लिए उसने “अतीत“ का सहारा लिया, क्योंकि उसके पास वर्तमान की दिशाहीनता शुरू से रही...

‘आपातकाल का सच’

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— जयशंकर गुप्त — जिसे इंदिरा गांधी और उनकी पार्टी के बड़े बड़े नेता भी जायज नहीं ठहरा सके, उस आपातकाल को हमारे कुछ मित्र आज पांच दशक बाद ‘आपातकाल का सच’ के नाम पर...

राणा सांगा पर बयान का राजनीतिक मनोविज्ञान

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— परिचय दास — रामजी लाल सुमन के राणा सांगा के बयान के पीछे के राजनीतिक मनोविज्ञान को समझने के लिए हमें यह देखना होगा कि ऐतिहासिक आख्यानों को राजनीतिक संदर्भों में कैसे इस्तेमाल किया...

इक्कीसवीं सदी की दहलीज़ पर भगत सिंह

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— कनक तिवारी — भगत सिंह सम्भावनाओं के जननायक बनकर इतिहास में अपनी धारदार उपस्थिति दर्ज कराते हैं। उन्हें देश के लिए जीने की ज़्यादा उम्र नहीं मिली। ईश्वर में भगतसिंह को आस्था नहीं थी।...

इस दुनिया में अजनबी की तरह आया और इसे छोडते समय भी मैं अजनबी...

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इस दुनिया में अजनबी की तरह आया और इसे छोडते समय भी मैं अजनबी ही हूं", लिखा था औरंगजेब ने अपने एक खत में अपनी जिन्दगी के आखिरी वक्त में। वह जानता था कि...

भारत के हिन्दुत्ववादी जनगण का आदर्श अमेरिका

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— पंकज मोहन — भारत के हिन्दुत्ववादी जनगण का आदर्श अमेरिका है। जब अमेरिका ने अपने देश में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को बेड़ियों में जकडकर भारत भेजा, वे चिल्लाने लगे, भारत मे...

उप्र में मस्जिदों को तिरपाल से ढँकने का फ़ैसला किसका था?

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— रमाशंकर सिंह — उप्र में मस्जिदों को तिरपाल से ढँकने का फ़ैसला किसका था? क्या यूपी सरकार ने कैसा भी अलिखित दवाब बनाया? अगर ऐसा होता तो सभी मस्जिदें ढँकी नहीं गयीं। क्या मौलवियों...
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वैदिक काल और कुंभ !

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— महेश विक्रम — वैदिक काल से कुंभ का कोई संबंध बनता ही नहीं, प्रयाग के संगम का परिचय ही उसके बाद हुआ, तीर्थों और संगमों पर स्नान की परंपरा ही गुप्त काल से विकसित...