‘ओपीनियन पोल’ अर्थात ‘पोल के ढोल’
— राकेश अचल —
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही चुनाव से पहले जनता का ओपीनियन बदलने की गरज से जो ओपीनियन पोल आए हैं उन्हे देखकर मैं पूरे विश्वास...
सोनम को खलनायक बनाकर गलती कर रही है दिल्ली
— राकेश अचल —
लेह-लद्दाख के अधिकारों के लिए गांधीवादी तरीके से आंदोलनकारी सोनम वांगचुक को खलनायक बनाकर भारत सरकार शायद उसी गलती को दोहरा रही है जो उसने मणिपुर के मामले में की.गृह मंत्रालय...
समाजवादी आंदोलन के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर समाजवादी एकजुटता सम्मेलन
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
मांग रहा है हिंदुस्तान
रोजी-रोटी और मकान।
धन और धरती बट के रहेगी
भूखी जनता अब ना सहेगी।*कमाने वाला खाएगा, लूटने वाला जाएगा,नया जमाना आएगा।
सोशलिस्टों ने बांधी गांठ पिछड़े पावे सो मे साठ।
राष्ट्रपति...
ऐसे कायर न बनो, फिलिस्तीन को मान्यता दो
— राकेश अचल —
भारत सनातन देश है और शुरू से उसकी विदेश नीति बहुत स्पष्ट रही है. भारत ने हमेशा से शरणागति और निबल का बल होने के मूल्यों की रक्षा की है लेकिन...
इन दिनों पूंजीपति, रामभद्राचार्य और गिद्ध
— डॉ योगेन्द्र —
सामान्य- सी सुबह । रांची की सड़कों पर चाय और फल वाले । कच्चे नारियल के अनेक ठेले। ऊँची बिल्डिगें और उन पर कोचिंग के अनेक पोस्टर । रांची के दो...
ज्ञानेश कुमार : कितनी और जिल्लत झेलोगे?
— राकेश अचल —
ज्ञानेश कुमार भारत के भले ही 26 वें मुख्य चुनाव आयुक्त हैं लेकिन वे सबसे ज्यादा जिल्लत झेलने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं, जिके ऊपर सरकारी पार्टी के लिए वोट...
भगवान के मामले में क्यों सुनवाई करे सुप्रीमकोर्ट ?
— राकेश अचल —
चलिए एक तरह से अच्छा हुआ कि सुप्रीमकोर्ट ने ये साफ कर दिया कि वो भगवान के मामले में कोई सुनवाई नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो में भगवान विष्णु की...
विचारधारा की आग आज भी सुलग रही है!
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
1934 में स्थापित "कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी" से पैदा हुआ समाजवादी विचार दर्शन का लावा कभी ठंडा नहीं पड़ा, यह दीगर बात है कि वक्त के थपेड़ों से कभी मंद तथा...
नेपाल में लोकतंत्र की लड़ाई: प्रधान मंत्री के पी शर्मा ओली का इस्तीफा और...
— परिचय दास —
केपी शर्मा ओली का इस्तीफा केवल राजनीतिक घटना नहीं बल्कि नेपाल के वर्तमान सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक परिदृश्य का भी सूचक है। 2025 में नेपाल में सामाजिक मीडिया प्रतिबंध को...
नये धनकड का चुनाव और अंतिम पंक्ति में मोदीजी
— राकेश अचल —
मेरे लिए मोदीजी यानि अपने प्रधानमंत्री उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने मोदीजी के लिए नेहरूजी. मोदीजी से दुखी मेरे अनेक पाठकों ने मुझसे कहा है कि उन्हे वे लेख न भेजे...
















