छिपी हुई अर्जियों ‘वाले बुद्धिजीवी’
— राम जन्म पाठक —
वैसे तो 2014 के बाद अंग्रेजी और हिंदी ( और शायद दूसरी भाषाओं के) भी कुछ ''बुद्धिजीवियों'' ने अपनी विचार-पीठिका से पाला-बदल किया है। जिस विचारधारा के लिए लंबे समय...
आशा है मुख्यमंत्री आतिशी दिल्ली में जनहितकारी कार्यों से नया इतिहास रचें
— रमाशंकर सिंह —
आतिशी मार्लेना दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रेष्ठ( तम ) कॉलेज सैंट स्टीफ़न्स की टॉपर हैं। आगे की उच्च शिक्षा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों जैसे आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से पूरी छात्रवृत्ति पाकर हुई और...
उत्तर-दक्षिण की दरार बढ़ सकती है इस परिसीमन से
— श्रीनिवास —
परिसीमन एक संविधानसम्मत नियमित प्रक्रिया है। जरूरी भी। लेकिन इससे जुड़े एक पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका दूरगामी नकारात्मक असर पड़ सकता है। उत्तर बनाम दक्षिण का मुद्दा तो...
नारी शक्ति का यह कैसा वंदन !
— विनोद कोचर —
21 सितंबर। महिला आरक्षण विधेयक पेश करने के दिन भी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया जबकि फ़िल्म अभिनेत्रियों तक को बुलाया गया।
इसके पहले भी, नए संसद भवन के उदघाटन...
आलोचना से क्यों डरती है सरकार
— गोपाल राठी —
कई "भगत लोग" मुझसे पूछते है कि आप हमेशा मोदी और भाजपा की आलोचना वाली पोस्ट क्यों डालते हो? कभी राहुल गांधी या कांग्रेस की आलोचना क्यों नहीं करते? आपकी पोस्ट...
भारत में बढ़ती गैरबराबरी पर चुप्पी क्यों है?
— प्रभात कुमार —
भारत आज भी गरीबों, मजलूमों और मजदूरों का विशुद्ध देश है। कम से कम इस देश की 50 फीसद आबादी आजादी के 77 साल बाद भी गरीब है। रोजगार के अवसर...
विभाजन के दंश को स्थायी बनाने की हरकतें !
— श्रवण गर्ग —
(दो साल पूर्व प्रकाशित एक आलेख के प्रस्तुत संपादित अंशों को मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल में एक टीचर द्वारा एक मुस्लिम छात्र को बारी-बारी से थप्पड़ मारने के लिए कक्षा...
ढाई दिन की बादशाहत
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
जी हां, हिंदुस्तान के मध्यकालीन इतिहास में एक ऐसा भी बादशाह हुआ है, जिसको ढाई दिन की बादशाहत करने का मौका मिला था। बक्सर के मैदान में हुमायूं और शेरशाह...
मोदी विपक्ष मुक्त भारत बनाना चाहते हैं
— गोपाल राठी —
जिन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर संसद में हुई बहस देखी है उन्हें बहस देखकर सुनकर निराशा हुई। संसद में सरकार को घेरने के लिए विपक्ष की पर्याप्त तैयारी और समन्वय नहीं दिखा।...
गांधी की हत्या का सिलसिला जारी है !
— श्रवण गर्ग —
(यह लेख ठीक एक साल पहले, 25 जुलाई 2022 को, एक ब्लागपोस्ट के तौर पर लिखा गया था। सर्व सेवा संघ परिसर पर जबरन सरकारी कब्जे से अत्यंत व्यथित और क्षुब्ध...