बुल्ली बाई प्रकरण : संवेदनाओं और मूल्यों की नीलामी

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— राजू पाण्डेय — निश्चित ही नफरत के पुजारियों ने इस बात का जश्न मनाया होगा कि वे बीस-इक्कीस वर्ष की आयु के तीन हिन्दू...

उनके व्यक्तित्व की छाप मेरे मन पर बनी रहेगी

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— मेधा पाटकर — बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में संगीत के साथ जोड़कर शिक्षा-कार्य करनेवाले घनश्याम शुक्ला जी के देहांत की खबर जब दिल को...

हर पल मनाएं जिन्दगी का जश्न

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— जयराम शुक्ल — समय की गति के हिसाब से हर नया विहान ही नया वर्ष है। हर क्षण अगले क्षण की पृष्ठभूमि बनता जाता...

असमानता और रंगभेद पर टिका है सौंदर्य प्रतियोगिता का बाजार

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— डॉ अमृता पाठक — विश्व स्तर पर इस महीने हुई सौंदर्य प्रतियोगिता में भारत की महिला हरनाज संधू मिस यूनिवर्स बनीं और मीडिया ने...

एक योद्धा संत का अंत

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— कुमार प्रशांत — आज के इस बौने दौर में डेसमंड टूटू जैसे किसी आदमकद का जाना बहुत कुछ वैसे ही सालता है जैसे तेज...

जुगनू जहां भी रहे उजाला ही फैलाते रहे

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— श्रवण गर्ग — जुगनू शारदेय को याद करने के लिए सैंतालीस साल पहले के ‘बिहार छात्र आंदोलन’ (1974 )के दौरान पटना में बिताये गये...

मंजुला राठौर : सगुण समाजवाद की मौन साधना

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— आनन्द कुमार — ( मंजू मेरी सहपाठी, जीवनसंगिनी और धर्मपत्नी थीं। वह हमारी आलोचक, सहयोगी और प्रतिद्वंद्वी भी रहीं। हमने साथ-साथ 1971 में  समाजशास्त्र...

महात्मा गांधी का आध्यात्मिकतावाद

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— सत्यम् सम्राट आचार्य — इन्दौर विश्वविद्यालय में पिछले तीन अकादमिक वर्षों से राजनीति विज्ञान के विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम का पारायण करवा रहा हूँ। स्नातकोत्तर...

विन्ध्य के ‘सेतुबन्धु’ थे लक्ष्मीनारायण नायक

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— जयराम शुक्ल — मध्यप्रदेश में हजम हो जाने के बाद भी हम विंध्यप्रदेश को एक राजनीतिक-सांस्कृतिक इकाई के रूप में देखते और परिभाषित करते...

क्या भागवत हिंदुओं को (अहिंसक) उग्रवादी बनाना चाहते हैं?

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— श्रवण गर्ग — संघ प्रमुख मोहन भागवत अगर एक लम्बे समय से सिर्फ एक बात दोहरा रहे हैं कि हिंदुओं को ताकतवर बनने (या...