भारत संवाद अभियान की शुरुआत मई-जून (2021) में होनी थी। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के चलते वह संभव नहीं हो सका। पिछले साल नवंबर-दिसंबर में भी कोरोना के नए वेरिएंट ने दुनिया के दरवाजे पर दस्तक दे दी। अब एक बार फिर कोविड की आशंका सताने लगी है। विडंबना यह है कि यह दौर भारत में लोकतंत्र और संविधान पर भी संकट मंडराने का दौर है। इससे निपटने के लिए जहां बहुत सारे संगठन और समूह अलग अलग तथा समवेत रूप से भी नफरत मिटाओ संविधान बचाओ जैसे अभियान चला रहे हैं वहीं कुछ साथियों ने ‘भारत संवाद अभियान’ का आगाज किया है। इसके पीछे क्या भावना, दृष्टिकोण और तर्क है, इसका अंदाजा इसके पर्चे से लगाया जा सकता है, जो इस प्रकार है –
भारत संवाद अभियान
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पथनिरेपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए…इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। (उद्देशिका, भारत का संविधान)
भारत संवाद अभियान का उद्देश्य भारतीय संविधान द्वारा प्रतिष्ठित संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारतीय-राष्ट्र के प्रति भारतीय नागरिकों की निष्ठा को निरंतर संवारने-निखारते रहना है। भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के आदर्शों और भारतीय संविधान के मूलभूत मूल्यों को राष्ट्रीय-जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाए रखना एक स्वाभाविक नागरिक-कर्तव्य है। नागरिकों के बीच निरंतर परस्पर संवाद के जरिए ही यह नागरिक-कर्तव्य उनकी सोच का स्थायी हिस्सा बना रह सकता है। ऐसा होने पर संवैधानिक मूल्यों और संस्थाओं का तेजी से जारी अवमूल्यन रुकेगा और आगे उनकी मजबूती तथा नवीकरण होगा। तभी शासक-वर्ग द्वारा राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों को बेचने किसानों, मजदूरों, नौजवानों, छात्रों की कीमत पर कारपोरेट घरानों के हित में एक के बाद एक कानून बनाने, नागरिक स्वतंत्रताओं का हनन करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की मुहिम को सफलतापूर्वक रोका जा सकेगा।
भारत के वे लोग जो अपनी नागरिक पहचान भारत के संविधान के साथ जोड़कर देखते हैं, किसी धर्म, जाति, क्षेत्र, परिवार, व्यक्ति आदि के साथ नहीं, भारत संवाद अभियान के स्वाभाविक हिस्सेदार हैं। पूरे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं होनी चाहिए। भले ही, पिछले तीन दशकों में नव-साम्राज्यवाद की सेवा में रत शासक-वर्ग द्वारा थोपे गए कारपोरेट-कम्यूनल गठजोड़ ने स्वतंत्रता आंदोलन और जटिल वैश्विक विकास के मंथन से निकले आधुनिक भारतीय-राष्ट्र की चेतना को बहुत हद तक विकृत कर दिया है।
विदेश में बसे भारतीयों को भी भारत संवाद अभियान में हिस्सेदारी करनी चाहिए। भारत में रुचि रखने वाले अथवा एक समतामय शांतिमय विश्व चाहने वाले अन्य देशों के नागरिक भी भारत संवाद अभियान में हिस्सा लेंगे तो उसकी व्यापकता बढ़ेगी। भारत संवाद अभियान में स्त्रियों और युवाओं को अधिकाधिक हिस्सेदारी उसे सार्थकता के नए आयाम प्रदान करेगी। सभी भाषाओं के पत्रकार भारत संवाद अभियान के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा सकते हैं। भारत संवाद अभियान में सभी नागरिक अपना नियमित कामकाज करते हुए हिस्सेदारी कर सकते हैं। बेरोजगार नागरिकों की अभियान में अग्रणी भूमिका हो सकती है और ये अभियान की सबसे बड़ी ताकत बन सकते हैं।
भारत संवाद अभियान का कोई संचालक केंद्र अथवा संस्था नहीं है। यह नागरिकों के लिए नागरिकों द्वारा चलाया जाने वाला अभियान है। इसमें एक व्यक्ति स्वयं से संवाद कर सकता है। दो लोग एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं। परिवार के सदस्य विभिन्न अवसरों पर आपस में संवाद कर सकते हैं। एक पेशे से जुड़े लोग अपना समूह बनाकर संवाद कर सकते हैं। इच्छुक लोग ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए ‘भारत संवाद अभियान मंडल’ बना सकते हैं। ये मंडल अपने क्षेत्र में स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं के बीच आधुनिक भारतीय राष्ट्रीयता और उसकी वैश्विक भूमिका से जुड़े विषयों पर चर्चाओं का आयोजन कर सकते हैं।
लोकतंत्र, नागरिक अधिकार, मानव गरिमा, धार्मिक –सांस्कृतिक बहुलता के साथ राज्य की कल्याणकारी भूमिका और समाजवाद के समर्थन में पुस्तकों, लेखों, पत्रिकाओं, वृत्तचित्रों, संगोष्ठियों, वीडियो, भाषणों की कमी नहीं है। तानाशाही, फासीवाद, आतंकवाद आदि कट्टरता के विविध रूपों का विरोध करने वाला साहित्य भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। भारत संवाद अभियान का बल लोगों के बीच आपसी सीधे संवाद पर रहेगा।
यह केवल सहमना लोगों के बीच संवाद नहीं है। अलग-अलग विचार और मान्यता रखने वाले लोग भारत संवाद अभियान में शामिल होकर अपना पक्ष रख सकते हैं।
भारत संवाद अभियान का कोई कोष (फंड) और खाता नहीं है। आपसी सहयोग के सहारे काम किया जाता है। प्रत्येक इकाई द्वारा संवादधर्मी लोगों से मिलने वाली सहयोग-राशि और उसके खर्च का हिसाब रखा जाएगा।
राजनीति आधुनिक युग के केंद्र में है। लिहाजा, भारत संवाद अभियान एक राजनीतिक प्रक्रिया है, जिसका पहला चक्र 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों तक चलेगा। नतीजा जो भी रहे, उसके बाद अभियान का दूसरा चक्र शुरू होगा। आगे चक्र दर चक्र यह अभियान चलता रहेगा- प्रचलित कारपोरेट राजनीति के बरक्स भारतीय समाज के भीतर से एक नई रचनात्मक राजनीति का निर्माण होने तक।
भारत संवाद अभियान की सफलता तभी होगी जब उसकी व्याप्ति संभ्रांत नागरिक समाज से होते हुए संगठित-असंगठित क्षेत्र की विशाल श्रमशील जनता तक होगी। जब वे खुद संवाद करेंगे और बतौर भारतीय नागरिक अपना बराबरी का दर्जा और हक हासिल करेंगे।
भारत संवाद अभियान के तहत कुछ साथी देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों से बातचीत करते हुए निरंतर यात्रा करेंगे। इस विश्वास के साथ कि अन्य इच्छुक लोग उस यात्रा से जुड़ें अथवा अलग से अपनी यात्रा का आयोजन करें।
भारत संवाद अभियान एक प्रक्रिया है, जिसमें सुझावों और अनुभवों के साथ संवर्धन होता चलेगा।
इस पर्चे का सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद होना जरूरी है। जो साथी अपनी भाषा में अनुवाद की जिम्मेदारी लेते हैं, वे कृपया सूचित करें।
जिन सरोकारधर्मी नागरिकों को यह संदेश-पर्चा मिलता है, वे सुझाव देने और अपने विवेक से संदेश/पर्चे को आगे प्रसारित करने का कष्ट करें। वे इसे अपने नाम के साथ अपनी भाषाओं में प्रकाशित और वितरित कर सकते हैं।
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डॉ प्रेम सिंह
विजेन्द्र कुमार
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राष्ट्रीय संयोजक
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