डॉ अंबेडकर का सोशलिस्टों से तालमेल!

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— प्रोफेसर राजकुमार जैन — आजकल मुल्क की सियासत में बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर रस्साकशी जारी है, तथा हर पार्टी, नेता, समूह,...

लोहिया का सुप्रसिद्ध भाषण ‘मार्क्सवाद और समाजवाद’

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— विनोद कोचर — 1952 तो क्या,1967 तक भी आरएसएस के असली चरित्र को लोहिया नहीं पहचान पाए थे। लोहिया कम्युनिस्टों और कांग्रेसियों पर ही...

भारतीय संविधान की मूल प्रति के चित्र

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२६ नवंबर १९४९ की संविधान की मूल प्रति पर कुछ चित्र अंकित हैं , इस पर संविधान सभा के अध्यक्ष और सदस्यों के हस्ताक्षर...

उस्ताद जाकिर हुसैन केवल एक तबला नवाज ही नहीं थे।

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— प्रोफेसर राजकुमार जैन — उनके इंतकाल की खबर से बेहद तकलीफ हुई।। हमारे वक्त का यह फनकार केवल बेजोड़ कलाकार ही नहीं विनम्रता, तहजीब,...

अलविदा ज़ाक़िर हुसैन साहब!

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— परिचय दास — ।। एक ।। ज़ाकिर हुसैन, भारतीय संगीत के आकाश का वह सितारा थे, जिनकी चमक ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया...

बद्रीविशाल पित्ती समाजवादियों की श्रद्धा के पात्र क्यों हैं ?

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— गोपाल राठी — बदरी विशाल पित्ती भारत के उद्योगपति, कला संग्राहक, समाजसेवी तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। आप डॉ.राममनोहर लोहिया के अत्यन्त करीबी रहे।...

महापंडित राहुल सांकृ्त्यायन का जीवन यात्रा विवरण

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— प्रणय श्रीवास्तव — महापंडित राहुल सांकृ्त्यायन ने अपनी जीवन यात्रा विवरण के खंड चार में लिखा है- “बदरीनाथ के दर्शन करना ज़रूरी था क्योंकि...

मैं जो कई भाषाओं में लिखता हूँ

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— परिचय दास — ।। एक ।। भारतीय साहित्य की परंपरा बहुभाषिकता के अद्भुत उदाहरणों से भरी हुई है। यह बहुभाषिकता केवल भाषाओं के प्रयोग तक...

औरंगजेब के प्रति महात्मा गांधी का नजरिया

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— अव्यक्त — 1 नवंबर, 1931 की सुबह थी. लंदन में गुलाबी ठंड पड़ने लगी थी. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के पेम्ब्रोक कॉलेज में एकदम सुबह से...

डॉ आंबेडकर ने भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित किया!

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— विनोद कोचर — बौद्ध धर्म के मतावलंबियों की तादाद बढ़ते देखकर, उसके प्रभाव को खत्म करने के लिए ही, सातवीं-आठवीं शताब्दी के दौरान आदि...