मैत्री के बिना रीता रह जाएगा महाकुंभ
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
बड़ी साध थी कि महाकुंभ जाऊं। लेकिन लगता है कि अपना घटकुंभ अभी कांचा है इसलिए इसे अभी पकाना और...
फातिमा शेख के अस्तित्व को नकार की राजनीति
— भंवर मेघवंशी —
नफरत से भरे इस दौर में दक्षिणपंथी कट्टर समूह सावित्री बाई फुले के बालिका शिक्षा के आन्दोलन की एक प्रमुख स्तम्भ...
दरवाज़े खोल दो बादशाह जा रहा है
— चंचल —
दुनिया के इतिहास का एक बहुत बड़ा नाम जो आज के दिन अलविदा कह गया ( 20 जनवरी 1988 )। 6 फरवरी...
कुम्भ के मेले में इन धर्म संकटों पर विचार कीजिए
— ध्रुव शुक्ल —
हम भारत के लोग धर्म, राजनीति, व्यापार, आबादी और पर्यावरण के क्षेत्रों में संकटग्रस्त है और इनमें ऐसा आपसी घालमेल हो...
बिना लाग लपेट, सीधा सच्चा भाषण मैंने सुना!
— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
मेरी तमाम उम्र दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते-पढ़ाते गुजरी है, इसलिए गुरु और शिष्य का रिश्ता कैसा हो? तालीम देने का...
मधु लिमये स्वतंत्रता लोकतंत्र व समाजवाद के योद्धा
— प्रो. राजकुमार जैन —
स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा समाजवादी चिन्तक मधु लिमये का जन्म 1 मई 1922 को पूना में हुआ। पूना के 'फर्ग्युसन...
कॉर्पोरेट बस्तर के सेप्टिक टैंक में दफ्न ‘लोकतंत्र’
— संजय पराते —
यदि पत्रकारिता लोकतंत्र की जननी है या पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, तो यकीन मानिए, 3 जनवरी की रात वह...
मधु लिमये की याद में!
— विनोद कोचर —
ये एक सुखद और एक तरह से, क्रांतिकारी संयोग ही था कि आपातकाल के बंदीवास के दौरान मुझे दो महीनों तक...
अमीर खुसरो पर विजयदेव नारायण साही
— परिचय दास —
विजयदेव नारायण साही हिंदी साहित्य के प्रमुख आलोचक और चिंतक थे, जिनकी आलोचना-शैली तर्कपूर्ण, गहराई से विश्लेषणात्मक और मौलिक दृष्टिकोण पर...
सावित्री बाई फुले और फ़ातिमा शेख!
— ध्रुव गुप्त —
देश में स्त्री शिक्षा की अलख जगाने वाली और स्त्रियों के अधिकारों की योद्धा सावित्री बाई फुले की जयंती पर आज...