मौजूद है हर जगह एक ग़ज़ा,एक नेतन्याहू ?

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संलग्न कृति: Razan Alkaseeh,Palestine

shravan garg

— श्रवण गर्ग —

फ़लिस्तीन किसी एक तबाह मुल्क और
ग़ज़ा किसी एक ‘क़ब्रगाह’ का नाम नहीं है !
मौजूद हैं फ़लिस्तीन और ग़ज़ा
हमारे ईर्द-गिर्द ,चारों तरफ़ दुनिया भर में !

वह जो कोई शख़्स ‘नेतन्याहू’ है
मौजूद है वह भी हर जगह,हर मुल्क में
बस हैं अलग परिधान,ज़ुबानें उसकी
गज़ा के लिए अदालतें इसराइल में भी नहीं हैं
हमारे आसपास भी नहीं कहीं !

करते हैं जब बम नेस्तनाबूद अस्पतालों को
होते हैं बच्चे यतीम और ‘माँएँ’ बेवा
या रौंदते हैं बुलडोज़र घोंसले आत्माओं के
व्यस्त रहता है उस समय कोई जज
उतारने आरती अपने विघ्नहर्ता की
मुस्कुराता रहता है मन ही मन ‘नेतन्याहू’
खड़ा हुआ सत्ता के अपने यरूशलेम में !

कर दिया गया है वह वक्त रफ़ा-दफा
तलाशी जाती थी ज़मीनें
कब्रगाहों के लिए बीच शहरों में !
बसाए जाएँगे सपनों के सारे शहर अब
कब्रगाहों के बीच बचे ज़मीं के टुकड़ों पर !

पूछते हैं जब जल्लाद उनके कि
आख़िरी इच्छा क्या है हमारी ?
जानते हैं वे क्यों दे रहे हैं हम जानें अपनी
बस सुनना चाहते हैं आख़िरी आवाज़ बहाने से
कितना काँप रहे हैं हम देखकर मौत सामने
जल्लाद को भी तो आख़िर भरना है कान
किसी जज के ,अपने ‘नेतन्याहू’के !

आख़िरी काम बचा है बस एक करने के लिए
सभी ‘ग़ज़ाओं’ को आज़ाद कराने और
सारे ‘नेतन्याहुओं’ को अवसाद में भरने का है !


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